गीता प्रेस, गोरखपुर >> वीर बालिकाएँ वीर बालिकाएँहनुमानप्रसाद पोद्दार
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‘कल्याण’ के ‘बालक-अंक में’ प्रकाशित 17 वीर बालिकाओं के छोटे-छोटे आर्दश चरित्र इस पुस्तिका में प्रकाशित किये गये हैं।
प्रस्तुत हैं इसी पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
निवेदन
‘कल्याण’ के ‘बालक-अंक में’
प्रकाशित 17 वीर
बालिकाओं के छोटे-छोटे आर्दश चरित्र इस पुस्तिका में प्रकाशित किये गये
हैं। ये चरित्र अपूर्व आत्मत्याग तथा बलिदान के सजीव चित्र हैं। आशा है,
कि इन्हें पढ़ने पर हमारी बालिकाओं में बलिदान और त्याग की भावना जाग्रत
होगी। जिन-जिन पुस्तकों के आधार पर ये चरित्र हमारे विद्वानों द्वारा लिखे
गये हैं, उन-उनके लेखकों के हम ह्रदय से कृतज्ञ हैं।
हनुमानप्रसाद पोद्दार
।।श्रीहरि:।।
वीर बालिकाएँ
हम्मीर-माता
चित्तौड़ के महाराणा लक्ष्मणसिंह के सबसे बड़े कुमार अरिसिंहजी शिकार के
लिये निकले थे। एक जंगली सूअर के पीछे अपने साथियों के साथ अपने घोड़ा
दौड़ाये चले जा रहे थे। सूअर इन लोगों के भय से एक बाजरे के खेत में घुस
गया। उस खेत की रक्षा एक बालिका कर रही था।
वह मचान से उतरी और खेत के बाहर आकर घोड़ों के सामने घड़ी हो गयी। बड़ी नम्रता से उसने कहा-‘राजकुमार ! आप लोग मेरे खेत में घोड़ों को ले जायँगे तो मेरी खेती नष्ट हो जायँगी। आप यहाँ रुकें, मैं सूअर को मारकर ला देती हूँ।
वह मचान से उतरी और खेत के बाहर आकर घोड़ों के सामने घड़ी हो गयी। बड़ी नम्रता से उसने कहा-‘राजकुमार ! आप लोग मेरे खेत में घोड़ों को ले जायँगे तो मेरी खेती नष्ट हो जायँगी। आप यहाँ रुकें, मैं सूअर को मारकर ला देती हूँ।
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